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Dhaniya ki fasal

धनिया का उपयोग एवं महत्व [Dhaniya (Coriander) uses & importance in hindi]

धनिया का उपयोग एवं महत्व [Dhaniya (Coriander) uses & importance in hindi]

भारत में धनिया रसोई घर में एक मुख्य भूमिका निभाती है, क्योंकि धनिया का उपयोग विभिन्न विभिन्न प्रकार से किया जाता है। धनिया का उपयोग सिर्फ खाने में ही नहीं, बल्कि चाट, सलाद ,सब्जियों को ऊपर से सजाने तथा विभिन्न विभिन्न तरह से धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। इसीलिए भारतीय रसोइयों में धनिया का अपना एक मुख्य स्थान है। जो कोई और नहीं ले सकता हैं। यह अपनी खुशबू के साथ विभिन्न प्रकार के गुणों को भी अपने अंदर समेटे हुए रहती है। जानिए धनिया का उपयोग और महत्व ।

धनिया का उपयोग एवं महत्व (Use and importance of coriander)

भारत देश मसालों की भूमि के लिए प्रसिद्ध है और यह प्राचीन काल से सुनिश्चित है।धनिया की पत्तियां और बीज खाने को खुशबूदार और जैकेदार बनाते हैं। धनिया की पत्तियां खाने में खुशबू और इनके बीज में विभिन्न प्रकार के औषधि गुण होते हैं। जिसको खाने से हमारे शरीर को लाभ पहुंचता है।धनिया के औषधि गुणों का उपयोग कुलिनरी,डायरेटिक, कार्मिनेटीव इत्यादि में किया जाता है। धनिया उत्पादक करने वाले मुख्य क्षेत्र कुछ इस प्रकार है जैसे: राजगढ़ ,विदिशा ,शाजापुर छिंदवाड़ा,मंदसौर, म.प्र के गुना आदि। प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा धनिया की खेती की जाती है। मध्यप्रदेश में धनिया की खेती करीबन 1,16,607 की दर पर होती है। इन खेती के आधार पर 1,84,702 टन धनिया की उत्पादकता की प्राप्ति की जाती है। 

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धनिया की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु:

धनिया की फसल के लिए सबसे अच्छा मौसम ठंडी का होता है। ठंडी और शुष्क मौसम धनिया की उत्पादकता को बढ़ाता है। धनिया की फसल के लिए सबसे अच्छा तापमान 25 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस का माना जाता है।किसानों के अनुसार धनिया की फसल शीतोष्ण जलवायु की फसल होती है। धनिया की फसल फूल और दाना का रूप प्राप्त करने के लिए पाला रहित मौसमो पर निर्भर होती हैं। ज्यादा पाला धनिया की फसल को खराब कर देता है।

धनिया की फसल के लिए सिंचाई

धनिया की फसल के लिए सबसे उपयोगी दोमट मिट्टी होती है। खेतों में जल निकास की अच्छी व्यवस्था करना बहुत ही जरूरी होता है।क्षारीय और लवणी भूमि को धनिया की फसल सहन नहीं कर पाती, धनिया की फसल दोमट मिट्टी और मटियार दोमट मे बहुत अच्छी तरह उत्पादन करती हैं।धनिया की फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान  लगभग 6 पॉइंट 5 से लेकर 7 पॉइंट 5 तक का होना जरूरी होता है। धनिया की फसल के लिए सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है। यदि पानी की व्यवस्था ना हो तो आप भूमि में पलेवा देकर भूमि को उचित रूप से तैयार कर सकते हैं। इस प्रकार जुताई करने से भूमि में मिट्टी के ढेले नहीं बनते हैं। 

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धनिया बोने का उचित समय

धनिया की बुवाई का उचित समय रबी का मौसम होता हैं। अक्टूबर से लेकर नवंबर तक  धनिया बोने का सबसे उचित समय होता है। धनिया के पत्तों की अच्छी प्राप्ति के लिए फसल बोने का सही समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।पाले के खतरे से बचने के लिए धनिया को नवंबर के दूसरे सप्ताह में बोना आवश्यक होता है।

धनिया की फसल में खाद और उर्वरक

खेत को तैयार करते समय किसान भाई  प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 100 से लेकर 150 कुंटल सड़ी हुई गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं। तथा 80 किलोग्राम नत्रजन और 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश की मात्रा का इस्तेमाल करते हैं। इन खादो को भली प्रकार से मिट्टी में मिलाया जाता है।

धनिया में सल्फर कब डालते हैं?

फसलों में सल्फर डालने का सही समय शाम का होता है। सल्फर को कुछ इस प्रकार से खेतों में डाला जाता है जैसे ;1 लीटर सल्फर को 1000 लीटर पानी में अच्छी तरह से मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। छिड़काव करते समय इस बात का ध्यान रखें। कि कोई जगह बचे नहीं खेतों में पूर्ण रूप से छिड़काव हो जाए। 

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 शाम का वक्त हो जाने पर खेतों में अच्छी तरह से हल्की सिंचाई करते समय मेढ़ के हर तरफ धुआं कर दें।

धनिया पीली क्यों पड़ जाती है?

धनिया की फसल की देरी से कटाई करने की वजह से धनिया में पीलापन आ जाता है। जो किसान भाइयों के हित में अच्छा साबित नहीं होता। इसीलिए धनिया की फसल की कटाई इसके सही समय पर करनी चाहिए। जब धनिया का दाना दबाने पर धनिया मे हल्का कठोर पन और पत्तिया पीली पड़ने लगे, धनिया डोड़ी दिखने में चमकीले भोरे तथा हरा रंग ,पीला होने पर और दानों में लगभग 18% नमी मौजूद रहे तभी कटाई करनी चाहिए। कटाई में की गई जरा सी भी देरी धनिया के रंगों को पूरी तरह से खराब कर देती है।

धनिया के लाभ

धनिया खाने से हमें विभिन्न विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं। क्योंकि धनिया खाने से विभिन्न प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं तथा हमें उन रोगो से छुटकारा भी मिल जाता है। जैसे : धनिया खाने से हमारी पाचन शक्ति अच्छी रहती है, हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल मेंटेन रहता है तथा डायबिटीज, किडनी आदि रोगों में भी यह काफी सहायक होती है। धनिया में मौजूद विभिन्न प्रकार के गुण जैसे फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, वसा प्रोटीन, मिनरल आदि मौजूद होते हैं। यह सभी आवश्यक तत्व धनिया को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बनाते हैं।

 दोस्तों हम यह उम्मीद करते हैं, कि हमारा यह  धनिया का आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में धनिया से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां मौजूद है। कृपया हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें।

धनिया की खेती से होने वाले फायदे

धनिया की खेती से होने वाले फायदे

दोस्तों आज हम बात करेंगे धनिया की खेती की, धनिया खेती के लिए बहुत ही उपयोगी फसल मानी जाती हैं। क्योंकि बिना धनिया के किसी भी प्रकार का खाना अधूरा रह जाता है। धनिया की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बनाए हैं।

धनिया की खेती:

धनिया के इस्तेमाल से भोजन स्वादिष्ट बनता है तथा भोजन में खुशबू बनी रहती है। धनिया की पत्ती और मसालों में खड़ी धनिया दोनों खानों में अपना अलग ही स्वाद लगाते हैं। 

धनिया ना सिर्फ अभी बल्कि प्राचीन काल से ही मसालों में अपनी अलग भूमिका बनाए हुए है। भारत देश मसाले की भूमि मानी जाती है ऐसे में धनिया एक मुख्य और महत्वपूर्ण मसालों में से एक है।

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किसानों के अनुसार धनिया के बीजों में विभिन्न विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इन औषधीय गुणों का उपयोग कुलिनरी , कार्मिनेटीव और डायरेटिक आदि के  रूप में किया जाता है।

धनिया की खेती करने वाले क्षेत्र:

किसानों को धनिया की खेती करने से अधिक लाभ पहुंचता है, क्योंकि यह कम लागत में भारी मुनाफा देने वाली फसलों में से एक हैं। कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां धनिया की खेती भारी मात्रा में की जाती है। 

जैसे मध्यप्रदेश में करीबन धनिया की खेती 1,16,607 के आस पास होती हैं। 1,84,702 टन धनिया का भारी उत्पादन मिलता है। कृषि विशेषज्ञ के अनुसार धनिया के उत्पादन वाले और भी क्षेत्र हैं जहां पर धनिया की भारी उत्पादकता प्राप्त की जाती है। जैसे गुना, शाजापुर ,मंदसौर, छिंदवाड़ा, विदिशा आदि जगहों पर धनिया की फसल उगाई जाती है।

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धनिया की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु का चयन :

धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु शुष्क और ठंडे मौसम की जलवायु मानी जाती है। इन मौसमों में धनिया की खेती का भारी  उत्पादन होता है। धनिया के बीजों को अंकुरित या फूटने के लिए करीब 26 से लेकर 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। 

धनिया के बीजों के अंकुरित के लिए या तापमान सबसे उचित माना जाता है। किसानों के अनुसार धनिया शीतोष्ण जलवायु फसल है। इसीलिए इन के फूल और दानों को पाले वाले मौसम की जरूरत पड़ती है। कभी कभी धनिया की फसल के लिए पाले का मौसम नुकसानदायक भी होता है।

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धनिया की फसल के लिए भूमि को तैयार करना :

धनिया की फसल के लिए अच्छी दोमट वाली भूमि सबसे उपयोगी मानी जाती है। सिंचाई की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि सबसे उपयोगी होती है। जो फसलें असिंचित होती हैं उनके लिए काली भारी भूमि ठीक समझी जाती है। 

इसीलिए किसानों के अनुसार धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी या फिर मटियार दोमट सबसे उपयोगी होती है। मिट्टियों का पीएच मान लगभग 6 पॉइंट 5 से लेकर 7 पॉइंट 5 का सबसे उपयोगी होता है। धनिया की फसल बुवाई करने से पहले खेतों को भली प्रकार से जुताई की आवश्यकता होती है। 

अच्छी गहराई प्राप्त हो जाने के बाद ही बीज रोपण का कार्य शुरू करें। धनिया की फसल के लिए भूमि को करीब दो से तीन बार अड़ी खड़ी जुताई की आवश्यकता होती है। जुताई करने के बाद खेतों में भली प्रकार से पाटा लगाना चाहिए।

धनिया की फसल बोने का सही समय चुने:

धनिया की फसल बोने का सही समय किसान अक्टूबर और नवंबर के बीच का बताते हैं। करीब 15 से 20 अक्टूबर के बीच धनिया की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। 

धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाने वाली फसल है। धनिया की फसल की बुवाई से किसानों को बहुत लाभ पहुंचता है।अक्टूबर में धनिया के दाने आना शुरू हो जाते हैं। तथा नवम्बर में हरे पत्ते फसल बनकर लहराने लगते हैं। पाले से फसल की खास देखभाल करने की आवश्यकता होती है।

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धनिया की फसल को सुरक्षित रखने के लिए बीज उपचार:

धनिया की फसल को सुरक्षित रखने के लिए  रोगों से बचाव के लिए कार्बेंन्डाजिम और थाइरम का प्रयोग करना चाहिए। इनके इस्तेमाल से भूमि और बीजों दोनों का ही रोगों से बचाव होता है। 

जिन रोगों से फसलें खराब होने का भय रहता है, जनित रोगों से बचाव के लिए 500 पीपीएम तथा में बीजों को स्टे्रप्टोमाईसिन द्वारा उपचार करना चाहिए।

धनिया की फसल में उपयुक्त सिंचाई:

धनिया की फसल की पहली सिंचाई बीज रोपण करते समय करनी चाहिए। उसके बाद दो-तीन दिन के भीतर तीन से चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई करते वक्त आप को जल निकास की व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखना होगा, ताकि किसी भी प्रकार का रोग या जल एकत्रित होकर फसल खराब ना होने पाए। 

किसानों के अनुसार धनिया की फसल उनकी आय के साधन को मजबूत बनाते हैं। धनिया की पत्तियां और धनिया के बीच दोनों ही उपयोगी होते हैं। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं। कि आपको हमारा यह आर्टिकल धनिया की खेती से होने वाले फायदे पसंद आया होगा। 

हमारे इस आर्टिकल  में सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है जो आपके बहुत काम आ सकती है। यदि आप हमारी दी गई सभी प्रकार की जानकारियों से संतुष्ट हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ तथा अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करें। धन्यवाद।

जानिए कैसे की जाती है धनिया की खेती? ये किस्में देंगी अधिक उत्पादन

जानिए कैसे की जाती है धनिया की खेती? ये किस्में देंगी अधिक उत्पादन

किसान भाइयों हमेशा आपको अपनी लागत के मुकाबले कम ही लाभ मिल पाता है, ऐसे में आप किसी भी फसल का उत्पादन करने से पहले इससे जुड़ी थोड़ी जानकारी प्राप्त कर ले ताकि आप इसका भरपूर लाभ उठा सके। आप चाहे तो धनिया की खेती करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। धनिया के बगैर भारतीय भोजन अधूरा माना जाता है। यह एक बहुत उपयोगी मसाला है जिसका उपयोग भारत की लगभग हर रसोई में किया जाता है। धनिया का इस्तेमाल खाने को सुगंधित बनाने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी बनाता है। कुछ लोग धनिया की चटनी का भी सेवन करते हैं जो काफी स्वादिष्ट होती है। ऐसे में धनिया की मार्केट में भी अधिक मांग है। बता दें, धनिया की खेती मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सबसे ज्यादा की जाती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि, आप धनिया की खेती किस तरह से कर सकते हैं और धनिया की खेती करने के क्या फायदे हैं।

धनिया का परिचय

बता दें, विश्व भर में भारत देश को '
मसालों की भूमि' के नाम से पहचाना जाता है। ऐसे में धनिया भी एक मसाला है जिसकी मांग दुनिया भर में है। धनिया के बीज औषधीय गुण के रूप में भी जाने जाते हैं। धनिया के बीज और पत्तियां भोजन को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने का काम करती है।

धनिया की खेती करने के लिए सही जगह

धनिया की खेती धनिया की खेती करना काफी सरल है क्योंकि यह किसी भी मिट्टी में पैदा हो सकता है। यदि खेती में जैविक खाद का उपयोग किया जाता है तो ऐसे में दोमट भूमि धनिया के लिए अच्छी मानी जाती है। वहीं असिंचित फसल के लिए काली मिट्टी भी सही रहती है। बता दे, धनिया लवणीय और क्षारीय मिट्टी भूमि को सहन नहीं कर पाता है। ऐसे में आप अच्छे जल निकास एवं उर्वरा शक्ति वाली भूमि का इस्तेमाल करें।

धनिया की बुवाई के लिए करें भूमि की सही तैयारी

धनिया की अच्छी पैदावार के लिए आपको सबसे पहले भूमि की अच्छी तैयारी करनी चाहिए। बता दें, अच्छी फसल के लिए आप जुताई से पहले 5-10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद खेत में डालें। आप चाहे तो 5-5 मीटर की क्यारियां बना लें, ऐसा करने से बीज में पानी देने में आसानी होगी। साथ ही निराई-गुड़ाई करने में भी आसानी होगी।

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धनिया की खेती करने के लिए जलवायु

धनिया की खेती शुष्क और ठंडे मौसम में अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा बीज को अंकुरित करने के लिए 25-26 सेंटीग्रेड तापमान सही होता है। बता दें, धनिया शीतोष्ण जलवायु की फसल होती है जिसके कारण फूल और दाना बनने की अवस्था पर पाला रहित मौसम की जरूरत होती है। दरअसल पाला से धनिया को नुकसान हो सकता है ऐसे में आप पाला रहित धनिया की खेती करें। अच्छी गुणवत्ता वाले धनिया को प्राप्त करने के लिए ठंडी जलवायु और तेज धूप साथ ही समुद्र से अधिक ऊंचाई भूमि की जरूरत होती है।

कितने होते हैं धनिया बीज के प्रकार?

  • हिसार आनंद

इस बीज में कई शाखाएं निकलती है और यह अधिक झाड़ियों का निर्माण करता है। यह थोड़ी मध्यम पछेती किस्म है। इसके पौधे के तने का रंग हल्का बैंगनी होता है हालांकि बदलते समय के अनुसार इसके पत्ते और बीज के रंग में हल्का परिवर्तन हो जाता है। इसके गुच्छे थोड़े मोटे दाने वाले होते हैं और दाने का रंग भूरा और हरा होता है। यह बीज अधिक उपज देने वाला बीज है।
  • पंत हरितमा

इस किस्म के बीज के पौधे नीचे जमीन में फैले रहते हैं। इसके दानों का आकार छोटा और रंग भूरा होता है। इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि, इसके उपज में दो कटाई की जा सकती हैं। इसके अलावा इस बीज की पैदावार भी अधिक होती है।
  • नारनौल सलेक्शन

इस किस्म के बीज की भी अधिक शाखाएं होती है। इस किस्म के धनिया के दाने बाकी किस्म से थोड़े बड़े आकार के होते हैं और इनका रंग हल्का भूरा होता है। यह किस्म कम समय में धनिया की अधिक उपज देती है।

धनिया बोने की सही प्रक्रिया

जानिए कैसे की जाती है धनिया की खेती: ये किस्में देंगी अधिक उत्पादन और मनचाहा मिलेगा मुनाफा
  • धनिया की फसल रबी मौसम में की जाती है।
  • धनिया की फसल करने के लिए सबसे अच्छा समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक का है।
  • धनिया की हरी पत्तियों की फसल करने के लिए अक्टूबर से दिसंबर का समय सबसे सही है, जबकि इसके दाने की फसल के लिए सबसे सही समय नवंबर का प्रथम सप्ताह है।
  • इसके अलावा पाला से बचाने के लिए धनिया को नवंबर के द्वितीय सप्ताह में बोना सबसे सही समय है।

धनिया बीज की मात्रा

धनिया की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए आपको करीब 15 से 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। धनिया को बोने से पहले इसके बीज यानी दानों को दो भागों में तोड़ लेना चाहिए। तोड़ने के वक्त ध्यान दें कि, बीज का अंकुरण भाग नष्ट न हो। अच्छी फसल की पैदावार करने के लिए बीज को करीब 12 से 24 घंटे पानी में भिगोकर रख दें और इसे कुछ देर धूप में सुखाएं। अच्छी तरह बीज सूखने पर इसकी मिट्टी में बुवाई करें।

धनिया की सिंचाई करने के लिए सही प्रक्रिया

  • धनिया की बुवाई करने के दसवें दिन सबसे पहले पानी और जैविक खाद डालते हैं।
  • इसके बाद दूसरा पानी करीब 20 दिन के आसपास डाला जाता है, इसके साथ ही आप 35 से 40 किलो डीएपी डाल सकते हैं।
  • यदि तापमान स्तर कम है तो आप 25 दिन के अंदर 250 से 300 ग्राम यूरिया का छिड़काव कर दें।
  • बता दें, 16 लीटर पानी में 100 ग्राम यूरिया डाला जाता है और बीघे भर की जमीन में तीन टंकी का छिड़काव करें, इससे धनिया की उपज में लाभ होगा।
  • यदि गर्मी बहुत तेज है तो आप हफ्ते में दो बार धनिया की फसल में पानी दे।
  • आप जिस दिन भी धनिया की बुवाई करें इसके ठीक 20 दिन बाद इसका बीज मिट्टी से बाहर आता है।


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कैसे करें धनिया का खरपतवार से बचाव?

  • धनिया के साथ-साथ उगे खरपतवार इसके ऊपर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं जिससे धनिया की सही पैदावार नहीं हो पाती है।
  • धनिया की सही और अधिक उपज के लिए आप समय-समय पर इसकी निराई-गुड़ाई करते रहे।
  • धनिया की बुवाई के करीब 40 दिन बाद पौधे जब 7 से 8 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाए तब इसकी निराई-गुड़ाई कर दें।
  • निराई -गुड़ाई करने से धनिया के साथ उगा हुआ खरपतवार आसानी से निकल जाता है और धनिया पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।
  • धनिया की बुवाई पंक्तियों के रूप में करें।
  • इसके अलावा बीज को मिट्टी में 2 से 4 सेंटीमीटर तक ही रखें, यदि आप इसको अधिक गहराई में बोते हैं तो इसका सही तरह से अंकुरण नहीं होता है और यह जमीन के अंदर ही सड़ जाता है।

कब करें धनिया की फसल की कटाई?

धनिया की कटाई तब की जाती है जब इसकी पत्तियां पीली और इसके बीज यानी कि डोडी का रंग थोड़ा चमकीला भूरा या पीला होने लगे। ध्यान रखें कि, इसके दानों में लगभग 18% नमी हो, इसी दौरान फसल कटाई करने से बीज अच्छा रहता है। दरअसल नमी के कारण बीज झड़ता नहीं है और यह आसानी से कट जाता है। यदि आप धनिया की फसल की कटाई समय पर नहीं करते हैं तो इसके दानों का रंग खराब होने लगता है, ऐसे में आप समय पर ही इसकी कटाई कर ले। धनिया की कटाई करने के बाद आप इसके छोटे-छोटे बंडल बना दें और इन बंडलो को आप 1 से 2 दिन खेत में ही खुली धूप में सुखाएं।

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कितनी होती है धनिया की पैदावार?

धनिया की पैदावार आपकी सही देखभाल, किस्म और मौसम के ऊपर निर्भर करती है। यदि आप अच्छी किस्म के धनिया का उत्पादन करते हैं तो आप इसमें अधिक लाभ कमा सकते हैं। जबकि धनिया की खेती वैज्ञानिक तकनीक से करते हैं तो सिंचित फसल से लगभग आपको 15 से 20 क्विंटल बीज प्राप्त होगा जबकि असिंचित फसल से 7 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हो सकती हैं।

धनिया की फसल से कितना मिलेगा लाभ?

धनिया की फसल एक ऐसी फसल है जिससे आप अपने अनुसार लाभ कमा सकते हैं। आप चाहे तो सूखा धनिया मंडी में बेचकर इससे मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो इसका पाउडर भी मार्केट में बेच सकते हैं। बता दें यदि आपके द्वारा पैदा किए गए धनिया की क्वालिटी अच्छी है तो शुद्ध धनिया पाउडर खरीदने के लिए कोई भी व्यक्ति एडवांस तक देने के लिए तैयार रहता है। ऐसे में आप होलसेल या रिटेल में भी इसको बेचकर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप धनिया की हरी पत्तियों की बिक्री करते हैं तो इससे भी आप मनचाही इनकम कर सकते हैं। हरे धनिया की बिक्री एक नकदी फसल होगी जिसे आपको हाथों-हाथ लाभ प्राप्त होगा। आप चाहे तो धनिया की बिक्री ऑनलाइन के माध्यम से भी कर सकते हैं। ऑनलाइन के माध्यम से धनिया की बिक्री करने से आप कम समय में अधिक से अधिक लोगों से जुड़ पाएंगे। यदि आप धनिया को ऑनलाइन बेचना चाहते हैं तो फ्लिपकार्ट, बिग बास्केट, अमेज़न और इंडियामार्ट जैसी कंपनी से संपर्क करके इनसे डील कर सकते हैं। आप ऑनलाइन के माध्यम से कम समय में अपनी फसल को अधिक लोगों तक पहुंचा पाएंगे।